Seoni Malwa News : सूखने से राहत मिली तो फसल पर छाया इल्लियों का प्रकोप, 35000 हेक्टेयर में लगी फसल हुई बर्बाद
Seoni Malwa News: When there was relief from drought, the crop was attacked by caterpillars, crops grown in 35000 hectares were destroyed.

Narmadapuram News : क्षेत्र में लगातार अवर्षा और सूखा बना रहने की स्थिति के बाद अचानक हुई बरसात और बादल छाए रहने के कारण सोयाबीन की फसल में इल्ली का अत्यधिक प्रकोप है। खेतों में तंबाकू इल्लियों ने सोयाबीन की फसल चौपट कर दी है। अब बिगड़ते मौसम के कारण संभावना जताई जा रही है कि क्षेत्र में करीब 35000 हेक्टेयर में लगी फसल भी बर्बाद होने की स्थिति में है।
क्षेत्र में करीब 35000 हेक्टेयर भूमि पर सोयाबीन की फसल बोई है। 3 अगस्त के बाद पानी नहीं गिरने से बने सूखे के हालात और एक महीने बाद लगातार पानी गिरते रहने, बादल छाए रहने और मौसम परिवर्तन के कारण इल्ली का प्रकोप सामने आया है। इल्ली का प्रकोप सोयाबीन की फसल पर महामारी के रूप में देखने को मिल रहा है। ग्राम नाहरकोला खुर्द के किसान संतोष साहू के 18 एकड़ रेलवे में लगी सोयाबीन की फसल में अब पत्ते और फलियां नहीं बचीं।
इल्ली सब चट कर गईं। इसी तरह कमलसिंह कीर, उदयसिंह तंवर, राजेश साहू, चंदरसिह सहित अनेक ऐसे किसान हैं जिनके खेतों में अब सिर्फ डंठल ही नजर आ रहे हैं। इसी तरह इल्ली का यह प्रकोप आसपास के भीमगांव, गाडरापुर, चापादेवड़ी, कोलगांव जैसे गांवों में भी देखने को मिल रही है। किसानों ने बताया कि अभी तक शासन की ओर से फसल को बचाने के उपाय बताने के लिए विभाग और सर्वेक्षण के लिए कोई कर्मचारी गांव तक नहीं आया है। ग्राम नाहरकोला खुर्द के किसान संतोष साहू ने बताया कि मैं दो दिन पहले ही खेत देखा और आज दो दिन बाद इल्लियों ने पूरी फसल चौपट कर दी। सोयाबीन में इल्ली लगने के कारण मेरा कम से कम 4 लाख रुपए का नुकसान हुआ है। खेतों में इल्लियां इतनी ज्यादा हैं कि वे अब खेत छोड़ कर रोड पर भी दिखाई देने लगी हैं।
किसान ने की सर्वेक्षण और सलाह दिलाने की मांग इल्ली के प्रकोप से ग्रसित गांवों के किसानों ने मांग की है कि तुरंत ही फसलों का सर्वे कराया जाए, ताकि नुकसान का अनुमान लगाया जा सके। इसी के साथ कृषि वैज्ञानिकों को भेजकर हमें सलाह दी जाए कि ऐसी स्थिति में अब हम क्या करें।

29 हजार 300 हेक्टेयर में बोई है धान की फसल क्षेत्र में धान 29, 300 हेक्टेयर, सोयाबीन 34, 200 हेक्टेयर, मक्का 16, 300 हेक्टेयर, ज्वार 70 हेक्टेयर, मूंग 120 हेक्टेयर, तिल 50 हेक्टेयर और अरहर 75 हेक्टेयर। कुल 80, 245 हेक्टेयर में फसलें बोई गई हैं।