Narmadapuram Politics: कांग्रेस को हो गई है रडरलेस ड्रिफ्ट सिंड्रोम बीमारी, पॉलिटिकल प्लेटलेट्स वाला खून चढ़ाने की जरूरत

Narmadapuram Politics: Congress is suffering from Rudderless Drift Syndrome disease, needs blood transfusion with political platelets.

राजनैतिक पार्टियों का विश्लेषण अलग अंदाज में रुवेज़ पठान की कलम से… अब हर रोज पढ़िए राजनीति पर एक ब्लॉग

Narmadapuram Politics

Narmadapuram Politics: नर्मदापुरम। मेडिकल साइंस ने भले ही कितनी तरक्की कर ली हो उसके पास उन रहस्यमयी और शिथिल कर देने वाले मर्ज़ का इलाज नहीं है, जिसने सियासी पार्टियों को अपनी गिरफ्त में ले लिया है। अगर नर्मदापुरम में ऐसा कोई ऐसा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल होता जहां क़यास के आधार पर मर्ज की जांच-परख हो पाती तो वहां के मरीज़ों की फिहरिस्त कुछ अलग होती। बहरहाल हमने मरीज की बीमारी और उसके इलाज पर रिसर्च करने का प्रयास किया है। अब मरीज पर निर्भर है वह अपने मर्ज को माने या न माने और इलाज पर ध्यान दे या न दे…आज कांग्रेस की बीमारी और इलाज पर बात करते है।

लगातार बढ़ रही है बीमारी

132 साल पुरानी पार्टी की बीमारी कुछ इस तेज़ी से बढ़ रही है कि उसकी स्थिति को रडरलेस ड्रिफ्ट सिंड्रोम कह सकते हैं, यानी एक ऐसी नाव जो बिना पतवार के बह रही हो। ये बीमारी की वो किस्म है जिसमें कमांड और कंट्रोल, दोनों ताक़तें कमज़ोर हो जाती हैं। नतीजा लुंज-पुंज होता पार्टी संगठन।

वैसे कांग्रेस के हालात बदल भी सकते हैं, गाड़ी पटरी पर फिर से आ सकती है, लेकिन इलाज ‘हाईकमान के स्तर’ पर ही होना चाहिए और उसके बाद भी संगठन को तीमारदारी की जरूरत बनी रहेगी।

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पहचान का संकट खड़ा होना

कांग्रेस जिस बीमारी से जूझ रही है, उसके मरीजों के सामने अक्सर पहचान का संकट भी खड़ा हो जाता है। आधार कार्ड या पहचान बताने वाला कोई दूसरा पुर्जा इसका इलाज नहीं हो सकता। आराम और विश्राम, मक्खन लगाने का कोई आयुर्वेदिक या गैर आयुर्वेदिक तरीका, आरोप-प्रत्यारोप, यकीन दिलाने की कोशिशों से मदद नहीं मिलने वाली और न ही दूसरों को प्रभावित करने के काम आने वालीं लेखकों की किताबें। इस मामले में तो सही सिग्नल देना सीखने के लिए किसी ट्रैफिक पुलिस के अंदर की गई इंटर्नशिप भी कारगर नहीं होने वाली है।

पॉलिटिकल प्लेटलेट्स वाला खून चढ़ाने की जरूरत

किसी और चीज से कहीं ज्यादा इस मरीज को पॉलिटिकल प्लेटलेट्स वाला खून चढ़ाने की जरूरत है, ताकि मोदी के डर का भूत भाग सके और इरादों का संचार हो सके। दरअसल, कांग्रेस को भरोसा बढ़ाने के लिए बूस्टर डोज़ की सख्त जरूरत है जिससे पार्टी सियासी तौर पर समझदार लगे। आगे की लड़ाइयों में अस्तित्व का संघर्ष होना है और इससे जूझने के लिए पार्टी को अपने चाणक्यों के साथ अक्सर मिल-बैठकर सोच विचार करना होगा। शायद इससे मदद मिले।

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ख्याल और मिज़ाज एक दूसरे से जुदा

परिवार के लोग मिल-बैठकर इसे सुलझा लें, यही इलाज है। परिवार के लोगों का ख्याल और मिज़ाज इस कदर एक दूसरे से जुदा है कि उनके एक हो जाने से चीजें बेहतर होने वाली नहीं हैं। जब तक की उनके ख्याल और मिज़ाज मेल न खा खाएं।

अलग-अलग सुरों में बोलने की बीमारी का ऑपरेशन वो इलाज है जिसे बिना किसी शक सुबहे के अपनाया जा सकता है। कांग्रेस को जो पॉलिटिकल प्लेटलेट्स चढ़ाने का परचा रविवार को लिखा गया है, मदद कर सकता है।

कल भाजपा की बीमारी और इलाज पर बात करेंगे…

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