Betul News : छात्राओं ने सीखी पानी की गुणवत्ता जांच करने की विधि, अलग-अलग क्षेत्रों के पानी का फलोराईड, अमोनिया सहित अन्य जांच की
Betul News: Girl students learned the method of testing the quality of water, tested the water of different areas including fluoride, ammonia and others
Betul News : (बैतूल)। जल के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती, पृथ्वी पर विद्यमान संसाधनों में जल सबसे महत्वपूर्ण हैं, जल का सबसे शुद्धतम रूप प्राकृतिक जल है, हालाकि यह पूर्णतः शुद्ध रूप में नहीं पाया जाता, कुछ अशुद्धियां जल में प्राकृतिक रूप से पायी जाती हैं, इसी उद्देश्य और महत्व को बताने के लिए 4 अगस्त को शा.कन्या उ.मा. विद्यालय बैतूल गंज बैतूल में विद्यालय की छात्राओं को पानी टेस्ट करने की विधि से अवग्त कराया गया।
शिक्षक महेश गुंजेले ने बताया कि छात्राओं ने अपने ग्राम और वार्ड से पीने के पानी का नमूना एकत्र कर लाया। ग्राम रतनपुर, केलापुर, महुपानी, बाजपुर, उमरी जागीर, सोनाघाटी, पागंरा, भयावाड़ी, कोसमी, गवाईढाना, बुण्डाला, झाड़ेगांव तथा बैतूल शहर के वार्ड संजय कालोनी, हमलापुर, कम्पनी गार्डन, गणेष वार्ड, विवेकानंद वार्ड, भग्गुढाना, महावीर वार्ड, रामनगर, अर्जुन नगर, सुभाषवार्ड, कालापाठा, सदर क्षेत्र से छात्राओं ने हेण्डपम्प, बोर एवं नल का पानी लाया था।पानी का पी.एच. मान, क्लोरीन, हार्डनेस, क्लोराईट, अल्कालिनिटी, आयरन, नाईट्रेट, टर्बीडिटी, फलोराईड, अमोनिया सहित अन्य टेस्ट किये।
रासायनिक तत्वों के दुष्प्रभाव की दी जानकारी
छात्राओं को रासायानिक तत्वों के अधिक उपयोग से मानव शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में बताया गया, जिसमें बोरॉन, पारा तंत्रिका तंत्र, मस्तिक (नवरस सिस्टम) को प्रभावित करता है। क्लोराइड सोडियम के साथ मिलकर रक्त चाप में वृद्धि का कारण बनता है।शीशा बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में बाधा उत्पन्न करता है, एनीमिया का कारण बनता है।
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वयस्कों में किडनी को नुकसान पहुंचाता है।नाइट्रेट शिशुओं में ब्लू बेबी सिंड्रोम (मेथोग्लोबिनामिया) का कारण बनता है। कीटनाशकों से कैंसर होता है, तंत्रिका तंत्र और प्रजनन प्रणाली को नुकसान होता है, रोग प्रतिरोधक प्रणाली (इम्यून सिस्टम) को गंभीर नुकसान पहुंचाता है।केल्शियम से कब्ज और गुर्दे की पथरी (किडनी स्टोन) होती है।
फ्लोराइड दांतों में सड़न पैदा करता है और दांतों को नुकसान पहुंचाता है। फ्लोराइड के कारण फ्लोरोसिस, हड्डियों के विकार और जोड़ों में समस्या उत्पन्न होती है। सोडियम उन लोगों को अधिक नुकसान पहुंचाता है जो पहले से ही हृदय, गुर्दे और रक्त परिसंचरण के रोगों से पीड़ित है। लोहा (आयरन) पेट की बीमारियों में वृद्धि का कारण बनता है।
सल्फेट मैग्नीशियम के साथ मिलकर दस्त (डायरिया) का कारण बनता है। कैडमियम हड्डियों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। आर्सनिक त्वचा रोगों और कैंसर का कारण बनता है। इसलिए सभी को गुणवत्ता युक्त पानी पीना चाहिए, इसकेे लिए पानी की जांच समय-समय पर करना चाहिए जिससे पता चल सके कि पानी में कौन से तत्व की कमी हैं और कौन से तत्व की मात्रा अधिक हैं।
आरओ के पानी का भी किया टेस्ट
छात्राओं द्वारा विद्यालय के पानी तथा आरओ के पानी का भी टेस्ट किया, जिसका पी.एच मान 7.5 था अन्य ग्रामों एवं वार्डो के पानी का पी.एच.मान 7.5 एवं 8.5 था जो कि स्वीकार हैं, पानी में फ्लोराइड की मात्रा 0.5 से 1.00 मिलीग्राम प्रति लिटर पाई गई जो भारतीय मानक ब्यूरो एवं वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की दिशा निर्देशिका के मान्य हैं। छात्राओं ने पानी टेस्ट करना शिक्षक महेश गुंजेले के मार्गदर्शन में सीखा।